Classical Dance of India
भारतीय शास्त्रकारों के अनुसार नृत्य संगीत का एक महत्वपूर्ण भाग है। नृत्य एक ऐसी कला है जो संगीत को एक चेहरा प्रदान करती है। आमतौर पर भी किसी संगीत के कार्यक्रम में जानबूझ कर नृत्य के कार्यक्रम आरम्भ और अंत में रखे जाते हैं क्योंकी अक्सर देखने वालो की रुचि गायन अथवा वादन से अधिक नृत्य में होती है। भारत की वैविध्यपूर्ण संस्कृति में लोक नृत्यों एवं शास्त्रीय नृत्यों का स्थान महत्त्वपूर्ण है। यहाँ की शास्त्रीय नृत्य शैलियाँ प्राचीन एवं परम्परागत हैं साथ ही अलग-अलग राज्यों से सम्बंधित अलग-अलग नृत्य शैलियाँ उस राज्य की विशेषताओं और इतिहास को भी बताने वाली हैं अतः ये नृत्य शैलियाँ केवल कला मात्र न होकर संस्कृति और परंपरा की वाहक भी हैं। भारत में शास्त्रीय नृत्य की सात शैलियाँ जानी प्रमुख रूप से जाती हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है। कथक कथक मुख्य रूप से उत्तर भारत का शास्त्रीय नृत्य है लेकिन वर्तमान समय में सम्पूर्ण भारत और दुनिया के अन्य बड़े देशों में भी इसका काफी प्रचार है। कथक के बारे में कहा जाता है कि, "कथनं करोति कथकः" अर्थात कथा कहने वाला ही कथक है। कथक शब्द की उत्पत्