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Information about Karadi Majalu Dance in Hindi

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करड़ी मजलु या करडी मजलु   (Karadi Majalu) मुख्य रूप से भारत के कर्नाटक राज्य से सम्बद्ध लोक कला है।यह कर्णाटक की सबसे प्राचीन लोक कलाओं में से एक है। यह प्रायः पुरुषों द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। इसमें पुरुषो का एक समूह जिसमे लगभग 9 सदस्य होते हैं, यंत्रों को समन्वित रूप से बजाते हैं और साथ ही थोड़ा बहुत नृत्य भी करते हैं। परन्तु करडी मजलु कोई नृत्य कला नहीं है बल्कि यह एक प्रकार का वाद्य वृन्द है जिसमे उत्साहपूर्ण संगीत बजाया जाता है। संगीत के साथ थोड़ा बहुत थिरकना स्वाभाविक है अतः कलाकारों द्वारा नृत्य के कुछ स्टेप्स वादन के साथ-साथ किये जाते हैं। कई बार समूह के सभी कलाकार एक साथ नृत्य के एक जैसे ही स्टेप्स दोहराते हैं जो की प्रस्तुतीकरण को आकर्षक बनाने के लिए होता है जिसे देखने वाले नृत्य समझते हैं इसलिए इस कला को करडी मजलु नृत्य (karadi majalu dance) की संज्ञा देते हैं जबकि यह मुख्य रूप से शुद्ध वाद्य संगीत आधारित लोक कला है।  करडी मजलु में एक व्यक्ति वाद्य के साथ गीत भी गाता है। ये गीत प्रायः भक्तिभाव वाले हो...

Kathak Indian Classical Dance

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संक्षिप्त परिचय  कथक उत्तर भारत में प्रचलित शास्त्रीय नृत्य शैली है। कथक शब्द की उत्पत्ति कथा से हुई है। कथक की परंपरा प्राचीन है। महाभारत तथा नाट्य शास्त्र में भी कत्थक शब्द मिलता है। पाली शब्दकोष में कथको  शब्द का प्रयोग एक उपदेशक के लिए किया गया है। संगीत रत्नाकर के नृत्याध्याय में जो तेरहवी शताब्दी का ग्रन्थ है कथक शब्द का उल्लेख है। प्राचीन समय में कथावाचक मंदिरों में पौराणिक कथाएँ सुनाया करते थे। कथा के साथ कीर्तन भी होता था जिसपे नट लोग नृत्य प्रस्तुत किया करते थे। समय के साथ नट जाति के लोगों में कुछ बुराइयां आ जाने के कारण इनका समाज से बहिष्कार कर दिया गया। जीविकोपार्जन के लिए इन लोगों ने घूम घूम कर कथा कहना एवं नृत्य करना आरम्भ किया। इन्हें ही बाद में कत्थक या कथक के रूप में जाना गया। चुकि ये लोग नृत्य के सिद्धांतों से परिचित थे तथा भगवान् कृष्ण की लीलाओं से सम्बंधित प्रसंगों पर नृत्य प्रस्तुत किया करते थे अतः भक्त समुदाय से उन्हें यश एवं धन दोनों की प्राप्ति होती रही। कथक का इतिहास  कथक के इतिहास को समझने के लिए दशवीं एवं ग्यारहवीं शती के पहले का ...

Odissi Dance (ओडिसी नृत्य )

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परिचय एवं इतिहास  "ओडिसी" भारत के उड़ीसा राज्य की शास्त्रीय नृत्य शैली है। पुरातात्विक प्रमाणों के आधार पर ओडिसी को सर्वाधिक प्राचीन भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैली माना गया है। उड़ीसा की रानी गुम्फा में मिली मूर्तियां, नृत्यमय मुद्रा का प्रथम प्रमाण हैं। जिनमे पार्श्व संगीत के वृन्द को भी साथ में दर्शाया गया है। विद्वानों ने इस गुफा और इसमें उकेरी गयी मूर्तियों का समय नाट्य शाश्त्र के भी पूर्व का बताया है।  नाट्य शाश्त्र नृत्य के चार क्षेत्रीय प्रकारों का उल्लेख करता है।  1. अवन्ति     2. पांचाली     3. दक्षिणात्य     4. औड्रमागधी   इसी ग्रन्थ के आधार पर यह पता चलता है कि, औड्रमागधी शैली का प्रचार अंग, बंग, कलिंग, वत्स, औड्र, मगध और भारत के पूर्वी अंचल के कुछ क्षेत्रों में था। कलिंग एवं औड्र वर्तमान उड़ीसा के अंतर्गत आते हैं। अतः ऐसी संभावना लगती है कि, भारत के इस क्षेत्र में लगभग 2000 वर्ष पूर्व ही नृत्य की एक शैली अपना स्वरुप ले चुकी थी।  इसा पूर्व दूसरी शती का ब्राह्मी लिपि में लिखा हुआ एक विवरण उपलब्ध है जो उड़...

Definition of music in hindi

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 Music अथवा संगीत मानव सभ्यता का वो सुन्दर अंग है जिसकी प्रेरणा इंसान को यद्यपि प्रकृति से ही मिली है लेकिन  अपनी  बुद्धि एवं सृजनात्मक शक्ति से मनुष्य ने इसे एक विशिष्ट कला का रूप दे दिया है। एक ऐसी कला जो दर्शाती है कि  मानव अन्य जीवों  से न सिर्फ श्रेष्ठ है बल्कि उसमे एक ऐसी प्रतिभा है जो ईश्वर अथवा किसी आनंदमयी शक्ति और ऊर्जा के होने का आभास कराती है। समस्त विश्व में मानव जहाँ -जहाँ  भी बसा हुआ है किसी न किसी रूप में वंहा संगीत भी अस्तित्व में है। संगीत की भाषा इसका प्रयोग अवं प्रस्तुतीकरण सब पर स्थान एवं परंपरा का प्रभाव साफ़ तौर पर देखा जा सकता है।  आम तौर पर जब भी हम संगीत शब्द सुनते हैं तो हमारे मस्तिष्क में कोई मधुर सी ध्वनि/आवाज़ आती है यह आवाज़ किसी पक्षी की हो सकती है, किसी वाद्य यन्त्र की हो सकती है या फिर किसी सुरीले व्यक्ति के द्वारा गाये जाने वाले किसी गीत की, इस आधार पर हम ये तो समझ ही  सकते हैं की संगीत क्या है ? जी हाँ कोई भी आवाज़ जो हमारे कानो को अच्छी लगे वह संगीत हो सकती है। लेकिन ज़रा रुकिए और सोचिये क्या यही संगीत की सटीक ...