Best Romantic poetry जिस दिन से वो हमसे खफ़ा हो गए
जिस दिन से वो हमसे खफ़ा हो गए
हाल अपना ना पूछो के क्या हो गए
अज़नबी हो चुके थे ज़माने से अब
खुद अपने ही घर मेहमाँ हो गए।
वो गए रूठ कर पर अकेले नहीं
जो मेरा था वो सब साथ लेते गए
नींद,साँसें, सुकूँ उनके पीछे गया
रात से ख्वाब भी बेवफ़ा हो गए।
भूल पाना उन्हें इतना आसाँ नहीं
और मनाऊँ उन्हें भी तो कैसे भला
अक़्ल मारी गयी है कुछ यूँ इश्क़ में
दायरे से अकल के दफ़ा हो गए।
नूर हटता नहीं है उनका निगाह से
जबकि देखे उन्हें एक अरसा हुआ
उनकी नज़र-ए -इनायत पे ज़िंदा थे हम
ऐसी फेरी नज़र के बेशिफ़ा हो गए।
Madhuryaa
बहुत ख़ूबसूरत अहसासों से सराबोर रचना 👌👌👌
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत अहसासों से सराबोर रचना 👌👌👌
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत अहसासों से सराबोर रचना 👌👌👌
ReplyDeleteGreat composition
ReplyDeleteThank you
DeleteNice
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteKya baat hai
ReplyDeleteवाह बहुत खूब शानदार 👌👌👏👏👏🙏🙏
ReplyDeleteKya baat hai lajwaab
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