मत जाना हमारे चेहरे की खामोशी पर हम ज़ेहन में तूफान लिए फिरते हैं। हक़ीकत जानते हैं हर बदलते चेहरे की नज़र मे आईनों की दुकान लिए फिरते हैं। यूँ तो खड़े हैं बुजुर्गियत के दर पर मगर दिल में बचपन के कुछ अरमान लिए फिरते हैं। उनसे कह दो न सिखाएँ हमे जिंदगी का हुनर जो खुद चेहरा बेजान लिए फिरते हैं। इश्क-ओ-अमन की बात हो तो आओ बैठो कुछ देर ना आएँ वो जो नफरतों का सामान लिए फिरते हैं। कई मुल्कों में घर बना लिया, बड़े रईस हो तुम हम तो दुनियाँ भर में हिन्दुस्तान लिए फिरते हैं। सुनो कोई ऐरा गैरा न समझ लेना हमे तुम हम शायर हैं लफ्ज़ों में सारा ज़हान लिए फिरते हैं।
जो मशहूर हुए सिर्फ उन्होंने ही तो महोब्बत नहीं कि "साहब"....
ReplyDeleteकुछ लोग चुपचाप भी तो क़त्ल हुए हैं इश्क़ में..!!!
ज़रूरी तो नहीं कि सब कुछ हासिल ही हो जाए....
ReplyDeleteकुछ लोग ना मिल कर भी दिल में आख़री साँस तक धड़कते है...!!!
आप जिनके अफ़साने पढ़कर रो देते हैं,
ReplyDeleteसोचो उन किरदारों पर क्या गुज़री होगी।
तेरी खुशबू, तेरी चाहत, तेरी यादें लाये हैं.. आज फिर मेरे शहर में बादल आये हैं..!!
ReplyDeleteकाले और गोरे दोनो रंगों पर कहर है,
ReplyDeleteवो थोड़ी सांवली है मगर जहर है..!!
❤️❤️❤️
आके बस जाओ तुम उस शहर में...
ReplyDeleteजिस शहर में हें मेरा ठिकाना...
घर बना लो तुम मेरे दिल में...
ये दिल है अब तेरा दीवाना...