मसीहा
इन मौतो की दौर मे
एक मसीहा आया है।
हर प्यासे गरीब की
प्यास बुझाने एक मसीहा आया है।
हर भूखे बच्चे की
भूख मिटाने एक मसीहा आया है।
हर बिलखती बहन की
साज बचाने एक मसीहा आया है।
हर रोती मां के
वीर लाल को बचाने एक मसीहा आया है।
हर कराहते बच्चे के
चेहरे पर मुस्कान लाने एक मसीहा आया है।
हर निहारती अर्धांगिनी की
पति की जान बचाने एक मसीहा आया है।
हर पिता के टूटते
अरमान जगाने एक मसीहा आया है।
सांसों की खोज में दर दर भटकते
हर भाई की उम्मीद जगाने एक मसीहा आया है।
धर्मो के इस जंग में
हर मतभेद मिटाने एक मसीहा आया है ।
अंधेरे में डूबते इस देश की
साख बचाने एक मसीहा आया है ।
हर उम्मीद की उम्मीद जगाने
एक मसीहा आया है ।
हर दर्रे दर्रे में एक मसीहा छाया हैं
हा जी कोई और नहीं मसीहा सोनू सूद आया है।
सुनील गावस्कर
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